मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट लेकर सवाल उठाए हैं। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2 पेज का पत्र लिखकर कई बिंदुओं पर आपत्ति जताई है। उन्होंने ट्रस्ट के गठन और इसमें शंकराचार्य को शामिल नहीं किए जाने पर आपत्ति जताई। पूछा- एक धार्मिक ट्रस्ट में अपराधी और सरकारी लोगों का क्या काम है? दिग्विजय ने अपनी चिट्ठी में हवाला दिया कि आरएसएस भगवान रामचंद्रजी को भगवान का अवतार नहीं मानती है। उन्हें मर्यादा पुरुष ही मानती है और उनका स्मारक बनाना चाहती है। सनातन धर्म में रामचंद्र भगवान के अवतार हैं। उनमें करोड़ों लोगों की आस्था है।
दिग्विजय ने पत्र में लिखा है कि पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के कार्यकाल के दौरान रामालय ट्रस्ट का गठन किया जा चुका है। इसलिए मंदिर के लिए दोबारा ट्रस्ट बनाने का औचित्य क्या है? उन्होंने नए ट्रस्ट में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को शामिल नहीं किए जाने पर सवाल उठाए। सिंह ने कहा- "वासुदेवानंद को शंकराचार्य के तौर पर शामिल किया जाना गलत है, क्योंकि उन्हें कोर्ट के फैसले के बाद शंकराचार्य पद से हटाया जा चुका है।"
दिग्विजय ने शंकराचार्यों के 4 के बजाए 5 मठ बता दिए
दिग्विजय ने अपने पत्र में कहा- द्वारका और ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी स्वरूपानंद ने अपने वक्तव्य में जो कहा है, वह संलग्न है। देश में सनातन धर्म के 5 शंकराचार्य के पीठ हैं। उनमें से ही ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाना उपयुक्त होता, जो नहीं हुआ। उन्होंने सुझाव दिया है कि सनातन धर्म के 5 शंकराचार्यों में से किसी एक को ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाना चाहिए था। हालांकि, देश में शंकराचार्य के 4 ही पीठ हैं, जिनकी संख्या को दिग्विजय ने अपने पत्र में 5 बताया है। हालांकि उन्होंने पांचों मठों के नाम नहीं बताए हैं।