राज्य सरकार के आगामी बजट में वचन पत्र में किए गए वादों को पूरा करने पर फोकस होगा। इनमें प्रमुख रूप से सरकारी खरीदी में युुवाओं के लिए 30 फीसदी प्रावधान किए जाने और वृद्धावस्था पेंशन की राशि 1000 रुपए किए जाना प्रस्तावित है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद वृद्धावस्था पेंशन की राशि 300 से बढ़ाकर 600 रुपए कर दी गई थी, जिसे वचन पत्र में किए गए वादे के अनुसार 1000 रुपए किया जाना है।
सरकार जनता पर नए कर लगाने से बच रही है। इसके पीछे बड़ी वजह अगले महीने होने वाले पंचायत और अक्टूबर-नवंबर में प्रस्तावित नगरीय निकाय चुनाव का नफा-नुकसान है। इसी के चलते वर्ष 2020-21 के बजट में वित्त विभाग ने विभागीय मंत्रियों से सुझाव मांगे हैं।
दरअसल, वित्त विभाग की ओर से मंत्रियों को दो पत्र भेजे गए हैं, उनमें पहले पत्र में ऐसी योजनाएं जो सीधे ग्रामीण जनता से जुड़ी हैं, उन पर फोकस करने को कहा है। दूसरे पत्र में अनावश्यक योजनाएं जो प्रासंगिक नहीं हैं, उन्हें हटाने को कहा गया है। पहले पत्र के हिसाब से सरकार कन्या विवाह योजना, लाड़ली लक्ष्मी और वृद्धावस्था पेंशन जैसी योजनाओं में किसी तरह से की राशि की कमी नहीं होने देना चाहती। हाल ही में केंद्र ने प्रदेश को दी जाने वाली राशि में कटौती की है इससे नाॅन प्रोडक्विट योजनाएं प्रभावित होंगी। इसलिए इन योजनाओं में किसी तरह की कटौती न करने को कहा गया है।
जनता पर नए टैक्स नहीं लगाने का भरोसा दिलाया
वित्तमंत्री तरुण भनोट ने कहा, "जनता पर किसी तरह के नए कर नहीं लगाए जाएंगे। ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं। विभागीय मंत्रियों से बजट में प्राथमिक तौर पर ऐसी उपयोगी योजनाओं की जानकारी देने को कहा है, जिनका आम जनता से सीधा वास्ता है। अप्रासंगिक योजनाएं जिनका लोगों से कोई लेना-देना नहीं है, उन्हें बंद किया जाएगा।"
बजट से ये मद होंगे खत्म- बजट में शामिल इन अनुपयोगी मदों को खत्म किया जाने की योजना है। इनमें साइकिल भत्ता, एक मुर्गी और 25 चूजे देने की स्कीम, बिल्ली को दूध पिलाने के लिए कंटीजेंसी फंड से दी जाने वाली राशि जैसी अनुपयोगी योजनाएं जिनकी प्रासंगिकता नहीं है। इन योजनाओं को खत्म करने को कहा गया है।