महत्वाकांक्षी योजना / राइट टू वाटर... साढ़े 22 हजार करोड़ की लागत से एक करोड़ लोगों के घर तक नल से पहुंचाएंगे पानी

‘राइट टू वाटर’ के तहत प्रदेश के करीब एक करोड़ लोगों के घर तक नल से पानी पहुंचाने की कवायद चल रही है। इसके लिए जल निगम ने साढ़े 22 हजार करोड़ रुपए की डीपीआर बनाई है। इस योजना के लिए आईआईटी, दिल्ली के विशेषज्ञों की सलाह ली गई है। प्रदेश के 14 हजार से ज्यादा गांवों काे इस योजना में शामिल किया गया है। गौरतलब है कि समूह नल-जल की करीब 6672 करोड़ रुपए की 39 योजनाओं का काम पहले ही चल रहा है। यह काम वर्ष 2022 तक पूरा किया जाना है। इससे 6091 गांव की लगभग 64 लाख आबादी को घर में ही नल से पेयजल मिलेगा। योजना में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 55 लीटर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।


योजना एक नजर



  • 14510 गांव योजना में शामिल 

  • 45 नल जल योजनाओं से पहंुचाएंगे पानी

  • 04 साल में काम पूरा करने का लक्ष्य


राशि का गणित



  • 5000 करोड़ के कामों के टेंडर फरवरी में जारी होंगे

  • 45-45% खर्च वहन करेंगे केंद्र और राज्य

  • 10% राशि जनसहयोग से जुटाएंगे


सरकार अपना लक्ष्य पूरा करेगी


हमने योजना के लिए अगले चार साल का लक्ष्य तय किया है। राज्य के मद से जल्द ही पांच हजार करोड़ रुपए के टेंडर जारी कर रहे हैं। आगे केंद्र का सहयोग रहा तो हम अपना लक्ष्य पा लेंगे।' - सुखदेव पांसे, मंत्री, पीएचई

85% आबादी के घर में नहीं है नल

प्रदेश में करीब 15 प्रतिशत जनसंख्या को ही नल से जल मिलता है। ग्रामीण क्षेत्र की अधिसंख्य आबादी हैंडपंप पर निर्भर है। 85 फीसदी लोग हैंडपंप या कुएं से पानी लेते हैं। इन्हीं को फोकस करते हुए यह योजना तैयार की गई है। जल निगम ने भूजल के बजाय सतही पानी पर आधारित योजना पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके लिए आसपास के नदी, तालाब और जल संसाधन के रिजरवायर से पानी लिया जाएगा। 


जल्द जारी किए जाएंगे योजना के टेंडर


राज्य सरकार ने अपने स्तर पर पांच हजार करोड़ रुपए के टेंडर की तैयारी कर ली है। जल्द ही ये टेंडर जारी किए जा रहे हैं। केंद्र के जल जीवन मिशन की गाइडलाइन हाल में प्रदेश सरकार को मिली है। उसके कामों के लिए केंद्र और राज्य सरकार 45-45 प्रतिशत खर्च वहन करेंगे।



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